जानिए भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी – रॉ के बारे में दिलचस्प और रोचक तथ्य

You are currently viewing जानिए भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी – रॉ के बारे में दिलचस्प और रोचक तथ्य

Indian Secret Agency RAW - interesting Facts

किसी भी देश की Secret Agency (खुफिया एजेंसी) उस देश की सुरक्षा में अपना एक अलग महत्व रखती हैं। भारतीय की भी अपनी एक खुफिया एजेंसी है जिसका नाम रिसर्च ऐंड अनालिसिस विंग – राॅ (Research and Analysis Wing – RAW) हैं। भारत की इस खुफिया एजेंसी रॉ के बारे में आपने बहुत बार फिल्मों में देखा या सुना होगा या फिर कहीं पत्रिका में पढ़ा होगा। परन्तु फिर भी इस खुफिया एजेंसी रॉ के बारे में आपको बहुत कम पता होगा एवं देश के अधिकतर लोग भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते है। क्योंकि इसके बारे में कभी-कभार ही खबरों में कुछ देखने सुनने को मिलता है। तो चलिए आइए आज हम आपको भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ (Indian Secret Agency RAW)से जुड़े रोचक तथ्यों (Interesting Facts) से अवगत कराते है, जो आपकी जानकारी बढ़ाने के साथ-साथ आपको गौरवान्वित भी अनुभव करवाएंगे।

Must Read

Indian Secret Agency RAW - Achievements

एजेंसी का गठन 1968 में भारत के बेहतरीन गुप्तचर विशेषज्ञों में से एक रामेश्वर नाथ काव के नेतृत्व में किया गया। मात्र तीन वर्षों में ही एजेंसी ने एक नए राष्ट्र (बांग्लादेश) के गठन में अहम भूमिका निभाई। उस समय रॉ ने सूचनाओं के आदान-प्रदान में बेहतरीन भूमिका निभाई थी।

काव के नेतृत्व में भारत ने 1971 में बांग्लादेश में सशस्त्र बलों को सहायता प्रदान की। पाकिस्तान ऑपरेशन सर्चलाइट में हार गया था। काव के नेतृत्व में रॉ को 1971 के युद्ध के दौरान पूर्वी पाकिस्तान के मंत्रिमंडल पर खुफिया गतिविधियों की जानकारी मिली। भारतीय वायु सेना ने उस जगह पर बमबारी की। खुफिया जानकारी के आधार पर, नौसेना कमांडो ने चटगांव बंदरगाह पर मौजूद पाकिस्तान के जहाजों को उड़ा दिया था।

रॉ ने सिक्किम के भारत में विलय होने में एक प्रमुख भूमिका निभाई। चीन हमेशा से ही सिक्किम को अधिग्रहण करना चाहता था, लेकिन भारत के पास काव थे और चीन की यह कोशिश विफल रही। इस तरह सिक्किम भारतीय गणराज्य का 22वां राज्य बना।

ऐसा माना जाता है कि रॉ हाल ही में चुनावों के दौरान श्रीलंका में सत्ता परिवर्तन के लिए एक मिशन पर था और वह मिशन पूरा भी हुआ।ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि माना जाता है कि श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे चीन से अपना मेलजोल बढ़ाने के इच्छुक थे, जो भारत के लिए सामरिक दृष्टि से उचित नहीं था।

भारत के परमाणु कार्यक्रम को गोपनीय रखना रॉ की जिम्मेदारी थी। भारतीय वैज्ञानिक और भारत सरकार इस क्षेत्र में क्या कर रही है, इसे पता लगाने में अमेरिकी खुफिया एजेन्सी सीआईए को विफलता हाथ लगी। इस घटना को सीआईए की बड़ी विफलता के रूप में देखा जाता है।

Leave a Reply