भारत की संस्कृति में देवी-देवताओं और उनकी पूजा का विशेष महत्त्व है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि कलियुग में धरती पर सिर्फ एक ही देवता साक्षात् मौजूद हैंं जो अपने भक्तों की हर विपदा हर संकट को दूर करने के लिए हाल में उपस्थित रहते हैं। इन देवता का नाम है श्री हनुमान जी या बजरंगबली। यही वजह है कि हनुमानजी कलियुग में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले भगवान हैं और विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को हनुमान मंदिरों में उनके दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगती है।
पूरी दुनिया में हनुमान जी के अनन्य भक्त उन्हें पूरे मन और श्रद्धा से पूजते हैं। लेकिन अगर कोई ये कहे कि भारत में एक स्थान ऐसा भी है जहाँ हनुमान की पूजा नहीं की जाती है और उनकी पूजा करने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है तो सभी का हैरान होना स्वाभाविक है। जी हाँ आपने बिलकुल सही सुना है, भारत का ही एक गांव है जहाँ हनुमानजी की पूजा नहीं होती है। इस गाँव के निवासियों को हनुमान जी से इतनी शिकायत है कि वहां इनकी पूजा करना एक अपराध माना जाता है। इसका कारण है गांववासियों में हनुमान जी के प्रति गुस्सा और नाराजगी। इसी कारण से इस गांव में ना तो इनकी पूजा होती है और ना ही यहाँ पर इनका कोई मंदिर है।
इस पोस्ट के माध्यम से हम आज आपको बतायेंगे की वो कौनसी जगह है जहाँ हनुमान जी की पूजा नहीं होती है ? वो कौनसी जगह है जहाँ हनुमान जी का एक भी मन्दिर नहीं है ? वो कौनसी वजह है जिससे गाँव वाले हनुमान जी की पूजा नहीं करते है ?
गाँव का नाम है – द्रोणागिरि गाँव
द्रोणागिरि गांव का नाम आते ही आपको याद आया होगा रामायण में उल्लेखित द्रोणागिरी पर्वत। जी हाँ वही द्रोणागिरी पर्वत जिसको हनुमान जी संजीवनी बूटी के लिए उठा कर लाये थे। द्रोणागिरी गाँव स्थित है उत्तराखंड की खूबसूरत पहाड़ियों में बसे चमोली जिले में। उत्तराखण्ड के सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ प्रखण्ड में जोशीमठ नीति मार्ग पर स्थित द्रोणागिरी गाँव बेहद ही शान्त और प्राकृतिक खूबसूरती समेटे हुए है। यह गांव समुद्र तल से लगभग 14000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।
Must Read Articles
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां के लोगों का मानना है कि हनुमान जी जिस पर्वत को संजीवनी बूटी के लिए उठाकर ले गए थे, वह द्रोणागिरी पर्वत यहीं स्थित था। चूंकि यहाँ के लोग उस द्रोणागिरी पर्वत की पूजा करते थे, इसलिए वे हनुमान जी द्वारा पर्वत उठा ले जाने से बहुत अधिक नाराज हो गए। और यही कारण है कि आज भी यहां हनुमानजी की पूजा नहीं होती है। यहां तक कि इस गांव में लाल रंग का झंडा लगाने पर पाबंदी है।
ग्रामवासियों की मान्यता के अनुसार –
द्रोणागिरि गांव के निवासियों के अनुसार जब हनुमान जी लक्ष्मण जी सहित अन्य वानर सेना की प्राणों की रक्षा खातिर संजीवनी बूटी लेने इस पर्वत पर पहुंचे थे। लेकिन जैसे ही वो बूटी लेने के लिये इस गांव में पहुंचे तो यहाँ एक जैसे बहुत से पर्वत होने से उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि किस पर्वत पर संजीवनी बूटी मिलेगी। तब उन्हें गांव में एक वृद्ध महिला दिखाई दी और उन्होंने उससे पूछा कि यह संजीवनी बूटी किस पर्वत पर मिलेगी? तब उस वृद्धा ने द्रोणागिरि पर्वत की तरफ इशारा कर दिया। हनुमान जी उड़कर उस द्रोणागिरी पर्वत पर पहुँच गये पर अभी भी उन्हें समझ नहीं आया पर बूटी कहां होगी तो हनुमान ने उस पर्वत के काफी बड़े हिस्से को तोड़कर अपने साथ लेकर उड़ गए। ऐसी मान्यता है कि जहां से पर्वत उठाया गया था वहीं पर आज द्रोणागिरी गांव बसा हुआ है।
गांव वालों के अनुसार जब हनुमान जी पर्वत को अपनी हथेली पर उठा रहे थे, तब पर्वत के देवता और अन्य देवता उस पर तपस्या कर रहे थे। साथ ही द्रोणागिरी पर्वत गांव वालों का आराध्य पर्वत था और वे लोग इसकी पूजा करते थे। इसी बात से नाराज गांववाले युगोंं युगोंं से बजरंगबली की पूजा इस गांव में निषेध मानते हैं। इसके साथ ही कहते है कि जिस वृद्धा ने हनुमान की पर्वत बताने में मदद की थी उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। आज भी इस गांव में लोग उनके आराध्य द्रोणागिरी पर्वत की विशेष पूजा पर महिलाओं का शामिल होना निषेध है और साथ ही इस दिन महिलाओं के हाथ का दिया ना खाते भोग लगाते है।
।। धन्यवाद ।।
तो दोस्तों कैसी लगी आपको Mythological Facts की यह Post “People don’t worship lord Hanuman in this Village : इस गांव में हनुमान जी की पूजा करना है पाप ” के बारे में ? कृपया Comment Box में Comment करके जरूर बताएं। साथ ही किस प्रकार की Posts आप यहाँ पढ़ना चाहेंगे या इस Website को बेहतर बनाने के लिए अपने सुझाव भी दे। अगर यह Amazing Post आपको पसन्द आई हो तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ share करना ना भूलें।
Great content! Keep up the good work!